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Jun 21, 2014

ON THE KUSHTI TRAIL IN PUNJAB: A VISIT TO KAINOR AKHADA

By Deepak Ansuia Prasad



अखाडा काईनोर

काइनोर में शर्मा जी के अखाड़े में पहुंचा तो दिन चढ़ गया था , और सुबह के प्रैक्टिस ख़त्म कर पहलवान घर जा चुके थे। फिर भी शर्मा जी ने हमारा स्वागत किया , अखाड़े में कुछ रेजिडेंट बच्चों के साथ मुलाकात की , शर्मा जी के साथ भी कुश्ती पर चर्चा की। शर्मा जी के अखाड़े जिसमे मैट, जिम, मिटटी का अखाडा , बच्चो के रहने के कमरे , किचन , पानी टॉयलेट सब कुछ बेहतर लगा , की फोटोग्राफी में कुछ समय लगाया। पंजाब में अखाड़ों का रख रखाव और सुविधाएं बेहतर हैं , पहलवानो में वजन और मेहनत की काबिलियत हैं। पंजाब में इसलिए कुश्ती लम्बी चलती हैं , जीदारी और दमकशी का मुकाबला होता हैं। बड़ी मेहनत और शिद्दत से शर्मा जी अपने अखाड़े में पहलवानो को शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने दुबारा प्रैक्टिस के समय आने का निमन्तरं दिया। उनके अखाड़े पे जलपान किया और शर्मा जी को धन्यवाद कर आगे बढ़ चले

पटियाला पहुँच कर हमारी इच्छा सुभाष मालिक जी की अकादमी पर पहुँचने की थी , गर्मी का माहोल था , गाड़ी ने साथ न दिया , और फ्यूज में शार्ट सर्किट ने गाडी और हमारी रफ़्तार पर ब्रेक लगा दिया , किसी तरह फ्यूज का इंतज़ाम किया। मेरे फ़्रांसिसी दोस्त के पास अब समय न था , भाई गोलू पहलवान को फ़ोन किया की अगली बार पटियाला अकादमी से ही शुरआत करेंगे और इस प्रकार उन्हें इन्फॉर्म कर दिल्ली एयरपोर्ट की तरफ गाड़ी का रुख किया। इस तरह पंजाब के कुछ अखाड़ों की ये यात्रा वैभव पूर्ण रही ,जिसमे सभी गुरु ,खलीफाओं , कोच व् पहलवानो ने साथ दिया। सब को एक बार फिर बहुत बहुत धन्यवाद

ENGLISH VERSION


Akhada Kainor
It was a hot sunny day when we reached the akhada at Kainor. Sharma ji the guru at the akhada welcomed us and told us that it was not practice time and most of their pupils were away at competitions. However, there were still a few wrestlers there and the guru, Bhardwaj ji. We had a chat about kushti, his akhda etc. and had a look around the facilities, which included a sand pit for traditional wrestling as well as a mat for freestyle wrestling and a hostel for wrestlers.

The End of the Road
The car broke down on the way to Patiala, so it would have been very late in the day when we reached Subhash Malik ji’s wrestling academy there. Also, my French friend needed to catch a flight. So I called Golu Pahlwan and told him that I would start my next tour from Patiala and we headed back to Delhi.
The journey to the akhadas of Punjab was a great experience. I had a help from Golu Pahlwan, all the gurus, coaches and wrestlers. I thank all of them once again. You are all heroes of Indian wrestling!

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